एक जौहरी था। उसकी असामयिक मृत्यु हो गई। परिवार में उसकी पत्नी और छोटा बेटा था। जौहरी की पत्नी ने लंबा वक्त बचत के सहारे काटा। एक दिन उसने अपने बेटे को एक पोटली और जौहरी का पता देते हुए कहा- ये हमारे पुराने रिश्तेदार हैं। उन्हें पूरी बात बताना और गहने बेच आना। लड़का अब जौहरी की दुकान पर था। जौहरी ने गहने देखे, लेकिन बच्चे को लौटा दिए और कहा- मां से कहना, जब सही भाव होगा, तब गहने बेचोगे तो दाम सही मिलेगा। रही बात तुम्हारी पढ़ाई और घर खर्च की...तो कल से तुम दुकान पर मेरी मदद करो। बदले में मैं तुम्हारा खर्च उठाउंगा। सालों तक लड़का जौहरी के यहां काम करता रहा। एक दिन जौहरी ने लड़के से कहा- कल वो पोटली लेते आना। अभी भाव सही है। लड़के ने घर जाकर मां से पोटली ले ली। उत्सुकतावश उसने पोटली को खोला। लेकिन गहने तो नकली थे। अब लड़के को समझ नहीं आया कि वो कल जौहरी से क्या कहेगा। बहरहाल, लड़का अगले दिन जौहरी के यहां पहुंचा। और उसने पूछा- आपने मुझे उसी दिन क्यों नहीं बता दिया कि गहने नकली हैं। जौहरी ने कहा- अगर उसी दिन बता देता तो तुम और तुम्हारी मां को लगता कि तुम लोगों पर संकट देखकर मैं बदल गया हूं। इसलिए मैंने उचित समय का इंतजार किया। लड़के की आंखों में कृतज्ञता के आंसू थे।


सीख : समय व अनुभव सबसे बड़े शिक्षक हैं। जो कोई नहीं सिखा सकता, ये सिखा सकते हैं।

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